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लेखनी प्रतियोगिता -23-May-2023 स्कूल के वो दिन




शीर्षक = स्कूल के वो दिन





स्कूल के दिनों का ज़ब भी जिक्र आता है, चेहरे पर मुस्कान के साथ साथ आँखों में पानी भी आ जाता है, पता नही था कि वो स्कूल और उसमे बिताये दिन इस कदर याद आएंगे कि चेहरे पर मुस्कान के साथ साथ उदासी भी आ जाएगी


स्कूल के दिनों का दौर वो सुनेहरा दौर था जिसके दोबारा आने की मात्र कल्पना ही की जा सकती है, क्यूंकि अब जिंदगी का एक एक दिन बड़ नही कम हो रहा है और जैसे जैसे जिम्मेदारियां बड़ रही है तब धीरे धीरे एहसास हो रहा है कि जिंदगी तो वही अच्छी थी जो नादानी में स्कूल के बसते का बोझ उठा कर जी ली थी


अब तो कांधे पर पड़ी अनेको जिम्मेदारियों के आगे वो बसते का बोझ तो मानो ऊँट के मूंह में जीरे समान लगता है


वैसे तो बहुत बार हम अपने स्कूल के दिनों के लेखनी के माध्यम से उन्हें दोबारा याद कर लिख पाए है, लेकिन बचपन और स्कूल की यादें है कि कम ही नही होती है

एक बार फिर लेखनी के माध्यम से मौका मिल रहा है, अपने उन सुनहरे दिनों को जीने का, यादों के झरोखे से एक बार फिर अतीत में झाँकने का तो फिर देर किस बात की शुरू करते है, अपने स्कूल का सफर और उन दिनों को एक बार से जी उठने का


स्कूल का सफर हमारा संभव हो पाया तो उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ हमारे माँ बाप है, और रहेंगे जिन्होंने इल्म जैसी दौलत से हमारा तार्रुफ कराया, अगर वो ना होते तो शायद आज हम लिख भी नही पा रहे होते, सबसे पहले तो हम अपने माँ बाप के आभारी है जिन्होंने हमें स्कूल भेज कर हमें पढ़ना लिखना सिखाया

आप सब की तरह हमारा भी स्कूल का सफर पहले U.K. G से शुरू हुआ और फिर निरंतर आगे बढ़ता रहा, उस समय हम बहुत छोटे थे इसलिए कक्षा पांच तक के स्कूल के दिनों की यादें कुछ धुंधली सी है, जो कही ना कही हमारे मस्तिष्क में अपनी जगह बनायीं हुयी है,

लेकिन कक्षा 6 से लेकर बारहवीं और फिर उसके बाद कॉलेज के दिनों का गुजारा एक एक लम्हा हमें बखूबी याद है, स्कूल जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के होते है, वैसे तो बारहवीं तक के भी होते है


लेकिन कक्षा 6 से कक्षा 8 तक पास और फ़ैल होने की इतनी चिंता नही होती थी, खेर अब के बच्चों को तो मानो किताबों तले दबा सा दिया गया है, लेकिन शुक्र है हमने अपने उन दिनों को बहुत अच्छे से जिया ज़ब हम कक्षा 6 से कक्षा 8 तक पहुचे


हमारा स्कूल एक सरकारी स्कूल था जिसके चलते पढ़ाई के नाम पर सिर्फ मौज मस्ती ही होती थी, किताबें स्कूल में ही रखी रह जाती थी और हम सब मैदान में खेलते कूदते रहते थे,सबसे ज्यादा मजा सर्दियों में आता था ज़ब स्कूल सुबह 10 से शाम 4 बजे तक का हो जाता था


ज्यादा ठण्ड होने पर बाहर लकड़िया जल जाती थी और सब उसके चारो और बैठ कर गन्ने खाया करते थे जो की वही हाईवे से गुज़ारने वाली ट्राली से खींच कर लाते थे, उसी के साथ साथ झर बेरी से बेर तोड़ कर लाते थे दोस्तों के साथ और तो और दसवीं क्लास की टूटी खिड़की से कभी कभी भाग कर घर भी चले जाते थे


कसम से वो दिन बहुत ही सुनहरे दिन थे, बस मौज मस्ती और कुछ नही, चंद किताबें थी बस उन्हें ही पढ़ कर पास हो जाते थे, लेकिन हाँ टूशन लगा रखी थी हमने


फिर कक्षा 9 में हमने विज्ञान को चुना हमारी तरफ हिंदी मीडियम स्कूल में कक्षा 9 में ही चुनना पड़ता है इसलिए हमने विज्ञानं को चुना और फिर थोड़ा संजीदा हो गए पढ़ाई को लेकर


पता ही नही चला कि कब दसवीं में आ गए जिसके बाद बहुत सारा प्रेशर था, लेकिन आज उन दिनों को याद कर बहुत अच्छा लगता है, वो सुबह 6 बजे इंग्लिश कि टूशन उसके बाद स्कूल और फिर शाम को विज्ञानं और गणित कि टूशन पूरा दिन यूं ही भागा दौड़ी में निकल जाता, और फिर रात को पढ़ाई करना

पता ही नही चला कब दसवीं कि और फिर ग्यारहवीं में स्कूल बदल दिया और फिर तो जिंदगी ही बदल गयी, एक तरफ भविष्य की चिंता दूसरी तरफ पढ़ाई की चिंता, कभी अंको की चिंता


आखिर कार कोचिंग से घर और घर से स्कूल और फिर घर पर पढ़ाई पता ही नही चला की वो दो साल कब और कैसे निकल गए और हमने अपनी जिंदगी के सुनहरे दिनों को पीछे छोड़ दिया


स्कूल के वो दिन जिन्हे कभी हम नर्क समझते थे और उससे आज़ाद होना चाहते थे, लेकिन आज समझ आता है वो तो स्वर्ग से भी सुंदर दौर था ज़ब न कल की चिंता और ना आज की फ़िक्र थी बस चार यार और चार किताबें इतना ही संसार था

खेर जीवन में आने वाला हर पल एक नयी चुनौती लेकर आता है, वो भी एक चुनौती थी   और अब भी एक चुनौती है, जिसे हस्ते हस्ते पार करना है जीवन में,


वैसे तो बहुत से किससे है स्कूल के दिनों के जिन्हे लिखते लिखते हाथ दर्द कर जाए पर किससे ख़त्म ना हो इसलिए आज के इस संस्मरण को यही ख़त्म करते है फिर कभी इसी से मिलते झूलते टॉपिक पर अपने स्कूल के दिनों की याद आप के समक्ष रखेंगे ज़ब तक के लिए अलविदा


समाप्त.....


प्रतियोगिता हेतु 

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5 Comments

Babita patel

29-Jun-2023 03:03 PM

nice

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वानी

25-May-2023 11:17 AM

Nice

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शानदार संस्मरण

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